कविताएं
Subscribe to:
Posts (Atom)
महके फूल हवायें झूमी
गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...
-
गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...
-
किससे मन की बात छुपाऊँ किससे बात करूँ. इस बस्ती में चेहरे की पहचान नहीं मिलती. प्यार मुहब्बत अपनों के दरम्यान नहीं मिलती. किस दिल को अर्प...
-
उतना नीर नहीं बादल में जितना अपनी आँखों में. जीवन सब हीजी लेते हैंसुख सपने उल्लास लिए. थोड़ी सी आशाएं कुछ ,अपनेअधरों पर प्यास लिए. इच्छाएं ऐ...