मेरी खुशियों का इरादा जो किया करती है
पेड़ बन करके छाया करो. पुन्य भी कुछ कमाया करो.
ग़ज़ल
पेड़ बन करके छाया करो.
पुन्य भी कुछ कमाया करो.
ये वो धन है जो घटता नहीं,
प्यार दिल से लुटाया करो.
जो अमन का बने अग्रणी,
वो पताका उठाया करो.
रोज भगवान के नाम पर,
एक दीपक जलाया करो.
ठीक से तैरना सीख लो,
फिर नदी में नहाया करो.
कुछ करे भी न खोले जबां,
सर उसे मत झुकाया करो.
जो मुहब्बत का पैगाम दे,
वो ग़ज़ल गुनगुनाया करो.
क्या नहीं मैंने किया दिलको रिझाने के लिए. जिन्दगी को और भी उम्दा बनाने के लिए.
ग़ज़ल
क्या नहीं मैंने किया दिलको रिझाने के लिए.
जिन्दगी को और भी उम्दा बनाने के लिए.
आइये मिलकर कोई ईजाद अब रस्ता करें,
दोस्तों फिर वक्त की सूरत सजाने के लिए.
जब मेरी कुछ बात पर नाराज़गी होने लगी,
चुप जबां को कर लिया रिश्ता बचाने के लिए.
जिसने उल्फत पे मेरी कुछ गौर फरमाया नहीं,
दिल तड़पता क्यूँ है उसके पास जाने के लिए.
आदमी बेताब है खुद के गमों के बोझ से,
कौन आता है किसी का दुख मिटाने के लिए.
नीर वाले मेघ तो बरसात करते हैं कहीं,
मेघ आते हैं इधर बिजली गिराने के लिए.
मैं बहुत दिन की खुशी की ख्वाहिशें रखता नहीं,
एक पल मुझको भी चहिये मुस्कराने के लिए.
शिव नारायण शिव
26-7-21
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