उतना नीर नहीं बादल में जितना अपनी आँखों में
कभी न मेरी खुशियों को मुरझाने देती है.
कभी न मेरी खुशियों को मुरझाने देती है.
वाह जिन्दगी कितने स्वप्न सुहाने देती है.
तेरे ही तो संकेतों से तारे जलते हैं.
जब तू चाहे तब ये सूरज चंदा ढलते हैं.
सुख देती है दुख भी किसी बहाने देती है.
तेरे अधर से फूलों की पंखुड़ियाँ झरती हैं.
कभी होठ से निकली बोली आग उगलती है.
किसी तरह तू पग भी नहीं बढ़ाने देती है.
तू हंसती हैं फिर ये मौसम रूप बदलता है.
तू रोती है दिल पर जैसे आरा चलता है.
फूल न शूलों को ही गले लगाने देती है.
दुनिया से तो संस्कार की बातें करती है.
लेकिन क्यों तू मेरे प्यार की बांह पकड़ती है.
रोता हूँ तो आंसू नहीं बहाने देती है.
किससे मन की बात छुपाऊँ किससे बात करूँ.
किससे मन की बात छुपाऊँ किससे बात करूँ.
इस बस्ती में चेहरे की पहचान नहीं मिलती.
प्यार मुहब्बत अपनों के दरम्यान नहीं मिलती.
किस दिल को अर्पित अपने मन के जज्बात करूँ.
शब्द किसी के और किसी के आंसू छलते है.
दिल के बहुत करीबी भी अब राह बदलते हैं.
किस साथी के आज हवाले अपनी रात करूँ.
जिसको भूख नहीं है उसको थाली मिलती है.
हाथ बढाओ उल्फत के तो गाली मिलती है.
कितना मन मारुं, कितनी छोटी औकात करूँ.
हंसने की इच्छा होती है रोना पड़ता है.
राई हो या पर्वत दुख सुख ढोना पड़ता है.
धूल उड़ाऊ किस घर में किस घर बरसात करूँ.
महके फूल हवायें झूमी
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