किससे मन की बात छुपाऊँ किससे बात करूँ.

किससे मन की बात छुपाऊँ किससे बात करूँ.

इस बस्ती में चेहरे की पहचान नहीं मिलती.
प्यार मुहब्बत अपनों के दरम्यान नहीं मिलती.

किस दिल को अर्पित अपने मन के जज्बात करूँ.

शब्द किसी के और किसी के आंसू छलते है.
दिल के बहुत करीबी भी अब राह बदलते हैं.

किस साथी के आज हवाले अपनी रात करूँ.

जिसको भूख नहीं है उसको थाली मिलती है.
हाथ बढाओ उल्फत के तो गाली मिलती है.

कितना मन मारुं, कितनी छोटी औकात करूँ.

हंसने की इच्छा होती है रोना पड़ता है.
राई हो या पर्वत दुख सुख ढोना पड़ता है.

धूल उड़ाऊ किस घर में किस घर बरसात करूँ.

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...