आप की जब दुआ हो गई. दूर सब वेदना हो गई.

ग़ज़ल

आप की    जब दुआ   हो गई. 

दूर     सब        वेदना  हो गई. 


जिसमें उल्फत के    सपने रहे, 

वो          नजर  बेवफा हो गई. 


बढ़ गई   मुफलिसी इस तरह, 

मुख्तसर   योजना       हो गई. 


पेड़       सूखे      हरे  हो गये, 

जब मेहरबां      घटा   हो गई. 

 

बाढ़ आई     गई भी      चली, 

रेत घर में      जमा      हो गई. 


आप का   आगमन क्या हुआ, 

ये सुहानी            हवा हो गई. 


बदसलूकी         उधर भी हुई, 

कुछ इधर       से खता हो गई. 


शिव नारायण शिव

19-8-21

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...