कभी न मेरी खुशियों को मुरझाने देती है.

कभी न मेरी खुशियों को मुरझाने देती है.

वाह जिन्दगी कितने स्वप्न सुहाने देती है.

तेरे ही तो संकेतों से तारे जलते हैं.
जब तू चाहे तब ये सूरज चंदा ढलते हैं.

सुख देती है दुख भी किसी बहाने देती है.

तेरे अधर से फूलों की पंखुड़ियाँ झरती हैं.
कभी होठ से निकली बोली आग उगलती है.

किसी तरह तू पग भी नहीं बढ़ाने देती है.

तू हंसती हैं फिर ये मौसम रूप बदलता है.
तू रोती है दिल  पर जैसे आरा चलता है.

फूल न शूलों को ही गले लगाने देती है.

दुनिया से तो संस्कार की बातें करती है.
लेकिन क्यों तू मेरे प्यार की बांह पकड़ती है.

रोता हूँ तो आंसू नहीं बहाने देती है.


महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...