सांझ-सबेरे आया कर | गीतों में नहलाया कर ||

 ग़ज़ल

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सांझ-सबेरे     आया कर. 

गीतों में   नहलाया    कर. 


तेरे पास          उजाले हैं, 

इस दर भी बिखराया कर. 


जो दुनिया    को छाया दे, 

वह ही पेड़    लगाया कर, 


जो उल्फत के    प्यासे हैं.

उनकी प्यास बुझाया कर. 


रोटी दे    भूखों   को फिर, 

अपना रुप    सजाया कर. 


एक एक  पल      सोना है,

यह खयाल भी लाया  कर. 


गैरों की         बाते सुनकर, 

अपनी कथा    सुनाया कर. 


शिव नारायण शिव

3-9-21

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...