गीत-5
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महके फूल
हवायें झूमीं
फागुन आया क्या?
क्या मुस्काई
न ई कोपल़ें
पुष्पित हुए पलाश.
बगिया में
मेहमानी करने
फिर आया मधुमास.
गली गली में
फिर भंवरों ने
रस बरसाया क्या?
नये पुराने
सम्बन्धों के
आगे पांव बढ़े.
उतर गये
लोगों के शिर से
जो थे भार चढ़े.
आंगन आंगन
फिर खुशियों का
बादल छाया क्या?
भौरे नाचे
डाली डाली
पंछी गाये गान.
प्रीति हृदय की
इक दूजे का
करने लगी बखान.
गीत फागुनी
द्वारे मेरे
तूने गाया क्या?
ऐसी चली
हवाएं जंगल
घाटी महक गयी.
चेहरे चेहरे
की सबके
खामोशी चहक गयी.
बदली हुई
फिजाओं ने भी
मन बहलाया क्या?
शिव नारायण शिव
19-3-21