उल्फत तो ज्ञानी करते हैं | नफरत अभिमानी करते हैं ||

 ग़ज़ल

*******

उल्फत तो   ज्ञानी     करते हैं.

नफरत     अभिमानी करते हैं.


मुफलिस अपनी इच्छाओं का, 

हर पल         कुर्बानी करते हैं.


गलती तो     सबसे   है होती, 

हम भी      नादानी    करते हैं.


जग जाहिर      है कुर्सी वाले, 

गफलत      मनमानी करते हैं.


नाम बुजुर्गों      का है चलता, 

बच्चे       परधानी    करते हैं.


जब कुछ लाभ नजर है आता, 

लोग   मेहरबानी        करते हैं.


तुम भी कुछ  हरकत हो करते, 

हम भी        शैतानी   करते हैं.


शिव नारायण शिव

31-8-21

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...