यूँ तेरा आना जाना हुआ. घर का मौसम सुहाना हुआ.

 ग़ज़ल

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यूँ तेरा    आना जाना हुआ.

घर का मौसम सुहाना हुआ.


चोट जिसने     बराबर दिये,

दिल उसी का दिवाना हुआ.


दोस्ती दुश्मनी    गम खुशी, 

ये तो किस्सा   पुराना हुआ.


प्रश्न जब  भी उठे   भूख के, 

किस अदा  से बहाना हुआ.


प्यार उल्फत का अब दोस्तों, 

आज  खाली   खजाना हुआ.


मेघ  पत्थर       बरसने लगे, 

जब भी घर   से रवाना हुआ.


जिस्म   क्यूँ   थरथराने लगा, 

आइना   जब    उठाना हुआ.


शिव नारायण शिव

28-7-21

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...