सत्ता के परवाने लोग | दीपक लगे बुझाने लोग ||

 ग़ज़ल

*****""

सत्ता के परवाने       लोग.

दीपक लगे    बुझाने लोग.


जब जब     कुर्सी दौड़ हुई, 

जीते     वही    पुराने लोग.


फूल उठाना       भूल गये, 

पत्थर लगे      उठाने लोग.


इतना      फैशनबाज हुए, 

सुरमा     लगे लगाने लोग.


सब आपस   में बांट लिए, 

लूटे   हुए      खजाने लोग.


नजर      बचाकर चलते हैं, 

उल्फत के       दीवाने लोग.


हंसना था      मुस्काना था, 

आंसू लगे        बहाने लोग.


शिव नारायण शिव

8-9-21

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...