हंसो हसाओ तो जानूँ | मन बहलाओ तो जानूँ ||

 ग़ज़ल

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हंसो  हसाओ    तो जानूँ.

मन    बहलाओ तो जानूँ.


गजलों की  पंखुड़ियों से, 

रस   बरसाओ   तो जानूँ.


इन पुरजोर     हवाओं में

दीप    जलाओ  तो जानूँ.


आंच न      आये रिश्ते में, 

झुको  झुकाओ   तो जानूँ.


सुख-दुख में   हर सूरत में, 

साथ निभाओ     तो जानूँ.


अपनी     थाली की रोटी, 

मुझे खिलाओ    तो जानूँ.


इस गरीब की   हालत पर, 

अश्क बहाओ     तो जानूँ.


शिव नारायण शिव

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...