ग़ज़ल
*******
हंसो हसाओ तो जानूँ.
मन बहलाओ तो जानूँ.
गजलों की पंखुड़ियों से,
रस बरसाओ तो जानूँ.
इन पुरजोर हवाओं में
दीप जलाओ तो जानूँ.
आंच न आये रिश्ते में,
झुको झुकाओ तो जानूँ.
सुख-दुख में हर सूरत में,
साथ निभाओ तो जानूँ.
अपनी थाली की रोटी,
मुझे खिलाओ तो जानूँ.
इस गरीब की हालत पर,
अश्क बहाओ तो जानूँ.
शिव नारायण शिव