कुछ दिन अपने दिल में रख. फिर मसला महफ़िल में रख

 ग़ज़ल

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कुछ दिन अपने दिल में रख. 

फिर मसला महफ़िल में रख. 


कदम    उठाने   से     पहले, 

ध्यान सदा     मंजिल में रख. 


कभी    दगा     दे सकता है, 

मत यकीन   कातिल में रख, 


तूफां    आने     वाला     है, 

कश्ती को    साहिल में रख. 


अहतियात    हो   कदमों में, 

जितना   मुस्तकबिल में रख. 


ये  मुफलिस     की बस्ती है, 

कुछ पैसे     फाजिल में रख. 


किससे कम   लिखता है तू, 

खुद को भी आलिम में रख. 


शिव नारायण शिव

14-8-21

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