ग़ज़ल
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खुशियों का उपवन दिखता है,
अव्वल मेरा वतन दिखता है .
हाथों में लेकर तो देखो,
सोने सा कण-कण दिखता है.
जन जन की जीवन- शैली में,
वेदों का दर्शन दिखता है.
हर सरिता में गंगा जमुना,
घर घर वृन्दावन दिखता है.
प्यार मुहब्बत की हरियाली,
देश मेरा सावन दिखता है.
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
सबमें अपनापन दिखता है.
एक एक शै में उल्फत का,
अद्भुत आकर्षण दिखता है.
दुनिया के इस मानचित्र पर,
भारत नम्बर वन दिखता है.
शिव नारायण शिव
15-8-21