ग़ज़ल
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अच्छी फिजा बनाकर रखिये.
घर आंगन महका कर रखिये,
पत्थर दिल वाली दुनिया है,
दिल का जख्म छुपा कर रखिये.
हिला न पाये आंधी घर को,
यूँ दीवार उठाकर रखिये.
घर आंगन में भारत माँ की,
मूरत एक सजाकर रखिये.
सुख में दुख में हर सूरत में,
मन अपना बहला कर रखिये.
मंजिल की चाहत रखते हैं,
हर दम कदम बढ़ा कर रखिये.
हवा विषैली है बाहर की,
बच्चों को फुसला कर रखिये.
शिव नारायण शिव
18-8-21