ग़ज़ल रफ्ता-रफ्ता गुजर सी गयी जिन्दगी

मुक्तक

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रफ्ता-रफ्ता  गुजर सी गयी जिन्दगी.

पर लगे अब   ठहर सी गयी जिन्दगी.

दिन ब दिन और सूरत बिगड़ती गयी, 

हम तो समझे संवर सी गयी जिन्दगी.


शिव नारायण शिव

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...