मुट्ठी भर आहार न देगा | ये पत्थर है प्यार न देगा ||

 ग़ज़ल

*******

मुट्ठी भर     आहार न देगा.

ये पत्थर है     प्यार न देगा.


रोने पर  प्रतिबन्ध    करेगा, 

हंसने का  अधिकार न देगा.


इसकी भूख    नहीं  जायेगी, 

जब तक डंडा    मार न देगा.


सोच समझकर हाथ बढ़ाओ, 

कुछ भी   यह संसार न  देगा.


तू तो    मक्खनबाज नहीं है, 

जगह तुझे   अखबार न देगा.


यह  बाजार  लगा है नकदी, 

कोई    तुझे    उधार न देगा.


अस्पताल है    धनवानों का, 

यह सस्ता     उपचार न देगा.


शिव नारायण शिव

5-9-21

महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...