ग़ज़ल
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फूल छुओ तो ख़ार लगे है.
जहर सरीखा प्यार लगे है.
गली गली रस्ते रस्ते पर.
खतरों का अम्बार लगे है.
झूठ बोलती है सच्चाई,
लफ्ज़ लफ्ज़ अंगार लगे है.
माननीय की सभा हमारे,
कौओं का दरबार लगे है.
पूजा घर का आजू-बाजू,
मछली का बाजार लगे है.
कोई है आंसू में डूबा,
और कोई बीमार लगे है.
जिश्म तेरा पंखुड़ी कमल की,
रूप तेरा कचनार लगे है.
शिव नारायण शिव
26-8-21