ग़ज़ल
पेड़ बन करके छाया करो.
पुन्य भी कुछ कमाया करो.
ये वो धन है जो घटता नहीं,
प्यार दिल से लुटाया करो.
जो अमन का बने अग्रणी,
वो पताका उठाया करो.
रोज भगवान के नाम पर,
एक दीपक जलाया करो.
ठीक से तैरना सीख लो,
फिर नदी में नहाया करो.
कुछ करे भी न खोले जबां,
सर उसे मत झुकाया करो.
जो मुहब्बत का पैगाम दे,
वो ग़ज़ल गुनगुनाया करो.