पेड़ बन करके छाया करो. पुन्य भी कुछ कमाया करो.

 ग़ज़ल











पेड़ बन  करके छाया करो.

पुन्य भी कुछ कमाया करो.


ये वो धन है जो घटता नहीं, 

प्यार दिल से  लुटाया  करो.


जो अमन  का बने अग्रणी, 

वो   पताका   उठाया करो.


 रोज भगवान   के नाम पर, 

 एक दीपक   जलाया करो.

ठीक से तैरना     सीख लो, 

फिर नदी में    नहाया करो.

कुछ करे भी न खोले जबां, 

सर उसे मत  झुकाया करो.

जो मुहब्बत    का पैगाम दे, 

वो ग़ज़ल    गुनगुनाया करो.

वक्त गुजरे हुए याद करने लगा. अक्स क्या क्या नजर में उभरने लगा.

 ग़ज़ल

वक्त गुजरे हुए   याद    करने    लगा.

अक्स क्या क्या नजर में उभरने लगा.


जाने क्यूँ  हो गया   ये परेशान दिल , 

जब भी उनकी गली से गुजरने लगा.


इस तरह की हवा   चल रही दोस्तों, 

खून का आज  रिश्ता बिखरने लगा.


वो न उल्फत रही  वो न चाहत रही, 

आदमी बात     करने से डरने लगा.


एक लमहा मिला  भी न हंसते हुए, 

हम समझते रहे   दिन संवरने लगा.


वक्त ने भर दिया   यूँ हवा में जहर, 

आदमी   है कि   बेमौत मरने लगा.


पछियों की तरह भी अहम दोस्तों, 

अब जमीं पर मेरा भी उतरने लगा.


शिवनारायण शिव

26-7-21

क्या नहीं मैंने किया दिलको रिझाने के लिए. जिन्दगी को और भी उम्दा बनाने के लिए.

 ग़ज़ल 

क्या नहीं मैंने किया दिलको रिझाने के लिए.

जिन्दगी को     और भी उम्दा बनाने के लिए.


आइये मिलकर कोई   ईजाद अब रस्ता करें, 

दोस्तों फिर वक्त की सूरत  सजाने   के लिए.


जब मेरी कुछ बात   पर नाराज़गी  होने लगी, 

चुप जबां को कर लिया रिश्ता बचाने के लिए.


जिसने उल्फत पे मेरी कुछ गौर फरमाया नहीं, 

दिल तड़पता क्यूँ  है उसके  पास जाने के लिए.


आदमी बेताब    है खुद के   गमों के बोझ से, 

कौन आता है किसी का दुख मिटाने के लिए.


नीर वाले मेघ तो      बरसात  करते हैं  कहीं, 

मेघ आते हैं इधर      बिजली गिराने के लिए.


मैं बहुत दिन की खुशी की ख्वाहिशें रखता नहीं, 

एक पल   मुझको भी चहिये मुस्कराने के लिए.


शिव नारायण शिव

26-7-21

यूँ तेरा आना जाना हुआ. घर का मौसम सुहाना हुआ.

 ग़ज़ल

******"

यूँ तेरा    आना जाना हुआ.

घर का मौसम सुहाना हुआ.


चोट जिसने     बराबर दिये,

दिल उसी का दिवाना हुआ.


दोस्ती दुश्मनी    गम खुशी, 

ये तो किस्सा   पुराना हुआ.


प्रश्न जब  भी उठे   भूख के, 

किस अदा  से बहाना हुआ.


प्यार उल्फत का अब दोस्तों, 

आज  खाली   खजाना हुआ.


मेघ  पत्थर       बरसने लगे, 

जब भी घर   से रवाना हुआ.


जिस्म   क्यूँ   थरथराने लगा, 

आइना   जब    उठाना हुआ.


शिव नारायण शिव

28-7-21

दिल मचलने लगा आप को देखकर. दीप जलने लगा आप को देखकर.

 ग़ज़ल

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दिल मचलने लगा आप को देखकर.

दीप जलने    लगा आप को देखकर.


 हर कली बाग   की मुस्कराने लगी, 

फूल खिलने लगा  आप को देखकर.


था अंधेरा अभी तक तो छाया हुआ, 

दिन निकलने लगा आप को देखकर.


वो जिगर जिसमें अंकुर निकलते न थे, 

प्यार पलने लगा    आप को  देखकर.


दोकदम जिसको चलनाभी मुश्किल रहा, 

वो    उछलने लगा   आप को   देखकर.


एक मंजर जो   दिल को न भाया कभी, 

रुख बदलने लगा      आप  को देखकर.


दर्द पत्थर हुआ      था जिगर     का मेरे, 

अब पिघलने लगा      आप को देखकर.


शिव नारायण शिव

29-7-21

वो भी यूँ याद करते रहे. हम जहन से उतरते रहे.

 ग़ज़ल

*******

वो भी यूँ      याद करते रहे.

हम जहन   से उतरते    रहे.


दिल उसी  का हुआ आश्ना, 

जो   मुहब्बत   से डरते रहे.


फूल शाखों पे  महफूज थे, 

हाथ आये       बिखरते रहे.


और चेहरा    बिगड़ता गया, 

जिन्दगी      भर संवरते रहे.


मुफलिसी में भी जानें गयी, 

लोग खाकर   भी मरते रहे.


नफरतों की यूँ  बारिस हुई, 

दिल के   तालाब भरते रहे.


संग दिल आदमी था मगर, 

प्यार होठों      से झरते रहे.


शिव नारायण शिव

1-8-21

हाथ बढ़कर मिलाया किसी ने नहीं. डूबते को बचाया किसी ने नहीं.

 ग़ज़ल

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हाथ बढ़कर मिलाया किसी ने नहीं.

डूबते को       बचाया किसी ने नहीं.


वो  गिरा था   उठाया   किसी ने नहीं.

उसको अपना बनाया  किसी ने नहीं.


इक मुहब्बत का ही मैं  तलबगार था, 

प्यास लब की बुझाया  किसी ने  नहीं.


अजनबी     राह पे मैं     भटकता रहा, 

राह मुझको     दिखाया किसी ने नहीं,


दर्द देने   की कोशिश  में दुनिया रही, 

एक पल भी    हंसाया किसी ने नहीं, 


वो अंधेरा       जमाने से   मौजूद है, 

एक दीपक    जलाया किसी ने नहीं.


जिस सलीके से सुनने की चाहत रही, 

उस तरह  गुनगुनाया     किसी ने नहीं.


शिव नारायण शिव

11-8-21

कुछ दिन अपने दिल में रख. फिर मसला महफ़िल में रख

 ग़ज़ल

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कुछ दिन अपने दिल में रख. 

फिर मसला महफ़िल में रख. 


कदम    उठाने   से     पहले, 

ध्यान सदा     मंजिल में रख. 


कभी    दगा     दे सकता है, 

मत यकीन   कातिल में रख, 


तूफां    आने     वाला     है, 

कश्ती को    साहिल में रख. 


अहतियात    हो   कदमों में, 

जितना   मुस्तकबिल में रख. 


ये  मुफलिस     की बस्ती है, 

कुछ पैसे     फाजिल में रख. 


किससे कम   लिखता है तू, 

खुद को भी आलिम में रख. 


शिव नारायण शिव

14-8-21

खुशियों का उपवन दिखता है, अव्वल मेरा वतन दिखता है .

 ग़ज़ल

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खुशियों का उपवन दिखता है, 

अव्वल मेरा वतन  दिखता   है . 


हाथों में    लेकर       तो देखो, 

सोने सा कण-कण दिखता है.


जन जन की जीवन- शैली में, 

वेदों    का    दर्शन दिखता है.


हर सरिता में    गंगा जमुना, 

घर घर वृन्दावन   दिखता है.


प्यार मुहब्बत  की हरियाली, 

देश मेरा  सावन   दिखता है.


हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, 

सबमें अपनापन   दिखता है.


एक एक  शै   में  उल्फत का, 

अद्भुत   आकर्षण दिखता है.


दुनिया के इस मानचित्र पर, 

भारत नम्बर वन दिखता है.


शिव नारायण शिव

15-8-21

अच्छी फिजा बनाकर रखिये. घर आंगन महका कर रखिये,

 ग़ज़ल

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अच्छी फिजा   बनाकर रखिये.

घर आंगन    महका कर रखिये, 


पत्थर दिल     वाली दुनिया  है, 

दिल का जख्म छुपा कर रखिये.


हिला न   पाये     आंधी घर को, 

यूँ   दीवार      उठाकर    रखिये.


घर आंगन में    भारत माँ   की, 

मूरत एक       सजाकर रखिये.


सुख में दुख  में     हर सूरत में, 

मन अपना   बहला कर रखिये.


मंजिल की      चाहत रखते हैं, 

हर दम कदम बढ़ा कर रखिये.


हवा    विषैली      है बाहर की, 

बच्चों को   फुसला कर रखिये.


शिव नारायण शिव

18-8-21

ग़ज़ल(देश प्रेम डूबी हुई)

 ग़ज़ल(देश प्रेम डूबी हुई) 

*******

आजादी        का   नारा है.

अनुपम      देश    हमारा है.


कोना कोना      धरती का, 

कितना   प्यारा     प्यारा है.


जिससे ज्योतित    है दुनिया, 

भारत     वह ध्रुव     तारा है.


दुश्मन हो     जाये  अवगत, 

हर      बच्चा     अंगारा   है, 


पांव    जहाँ  हम   हैं  रखते, 

हो    जाता      उजियारा है, 


सबने  खून         पसीने से, 

इसका         रूप संवारा है.


यही     हमारी       है जन्नत, 

यह    ही  भाग्य    हमारा है.


शिव नारायण शिव

19-8-21

आप की जब दुआ हो गई. दूर सब वेदना हो गई.

ग़ज़ल

आप की    जब दुआ   हो गई. 

दूर     सब        वेदना  हो गई. 


जिसमें उल्फत के    सपने रहे, 

वो          नजर  बेवफा हो गई. 


बढ़ गई   मुफलिसी इस तरह, 

मुख्तसर   योजना       हो गई. 


पेड़       सूखे      हरे  हो गये, 

जब मेहरबां      घटा   हो गई. 

 

बाढ़ आई     गई भी      चली, 

रेत घर में      जमा      हो गई. 


आप का   आगमन क्या हुआ, 

ये सुहानी            हवा हो गई. 


बदसलूकी         उधर भी हुई, 

कुछ इधर       से खता हो गई. 


शिव नारायण शिव

19-8-21

खुद भी हंसना न पराये को हंसाना आया. कितना कमबख्त मेरे दोस्त जमाना आया,

 ग़ज़ल

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खुद भी हंसना  न पराये को हंसाना आया.

कितना कमबख्त मेरे दोस्त जमाना आया, 


बाद मुश्किल के गये रात बहुत आंख लगी, 

ख्वाब आया तो लिए गम का फसानाआया.


आदमीयत की वो     तालीम दिया करते हैं, 

द्वेष अपने न   जिन्हें घर का मिटाना  आया.


 उस तरह इल्म तोआया न उन्हें उल्फत का, 

जिस तरह उनको मेरा जख्म दुखाना आया.


धूप में   कतरे      लहू के भी  सुखाये हमने, 

जिन्दगी फिर भीअभी तक न सजाना आया.


बात ही   बात में     हम हाथ   उठा   देते हैं, 

सर मगर अपने   बड़ों को न झुकाना आया.


यूँ तो कर डाले हैं रौशन भी जहाँ को लेकिन, 

एक दीपक     न मुहब्बत का जलाना आया.


शिव नारायण शिव

23-8-21

फूल छुओ तो ख़ार लगे है. जहर सरीखा प्यार लगे है.

 ग़ज़ल

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फूल छुओ तो ख़ार लगे है.

जहर सरीखा प्यार लगे है.


गली   गली  रस्ते रस्ते पर. 

खतरों का  अम्बार लगे है.


झूठ   बोलती    है सच्चाई, 

लफ्ज़ लफ्ज़ अंगार लगे है.


माननीय की   सभा हमारे, 

कौओं का   दरबार लगे है.


पूजा घर     का आजू-बाजू, 

मछली  का    बाजार लगे है.


कोई     है   आंसू     में डूबा, 

और कोई       बीमार लगे है.


जिश्म तेरा पंखुड़ी कमल की, 

रूप तेरा        कचनार लगे है.


शिव नारायण शिव

26-8-21

व्यर्थ सभी तदबीर हुई है | यूँ अपनी तकदीर हुई है ||

 ग़ज़ल

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व्यर्थ सभी तदबीर     हुई है.

यूँ अपनी    तकदीर   हुई है.


लूट     रहे सब   दोनों हाथों, 

खतरे     में     जागीर हुई है.


रोज हुई गर     साफ सफाई, 

क्यूँ  धूमिल      तस्वीर हुई है, 


पहले से   सच है कि   छोटी, 

उल्फत की      जंजीर  हुई है.


पड़ी बहुत है     गुड़ की भेली, 

फिर  भी  कड़वी   खीर हुई है.


है गजलों     का दौर चला यूँ, 

दुनिया      गालिब मीर हुई है.


आज मेरे दिल के शायर की, 

हर झूठी         तहरीर हुई है.


शिव नारायण शिव

27-8-21

सहमी हुई गली मिलती है | हर इक खबर बुरी मिलती है ||

 ग़ज़ल

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सहमी हुई    गली मिलती है.

हर इक खबर बुरी मिलती है.


मुरझाये सब कमल ताल के, 

सूखी हुई नदी      मिलती है.


ऐसा तुझ पे     क्या है गुजरा, 

तेरी   नजर   झुकी मिलती है.


अफवाहें उठती     है कितनी, 

कुछ तो बात सही मिलती है.


झांक रहा हूँ जिसके दिल में, 

सब में आग  लगी मिलती है.


समझ न आये क्यूँ लोगों की, 

धड़कन रोज बढ़ी मिलती है.


भटका देती है    वह अक्सर, 

जो भी राह    नयी मिलती है.


शिव नारायण शिव

उल्फत तो ज्ञानी करते हैं | नफरत अभिमानी करते हैं ||

 ग़ज़ल

*******

उल्फत तो   ज्ञानी     करते हैं.

नफरत     अभिमानी करते हैं.


मुफलिस अपनी इच्छाओं का, 

हर पल         कुर्बानी करते हैं.


गलती तो     सबसे   है होती, 

हम भी      नादानी    करते हैं.


जग जाहिर      है कुर्सी वाले, 

गफलत      मनमानी करते हैं.


नाम बुजुर्गों      का है चलता, 

बच्चे       परधानी    करते हैं.


जब कुछ लाभ नजर है आता, 

लोग   मेहरबानी        करते हैं.


तुम भी कुछ  हरकत हो करते, 

हम भी        शैतानी   करते हैं.


शिव नारायण शिव

31-8-21

हंसो हसाओ तो जानूँ | मन बहलाओ तो जानूँ ||

 ग़ज़ल

*******

हंसो  हसाओ    तो जानूँ.

मन    बहलाओ तो जानूँ.


गजलों की  पंखुड़ियों से, 

रस   बरसाओ   तो जानूँ.


इन पुरजोर     हवाओं में

दीप    जलाओ  तो जानूँ.


आंच न      आये रिश्ते में, 

झुको  झुकाओ   तो जानूँ.


सुख-दुख में   हर सूरत में, 

साथ निभाओ     तो जानूँ.


अपनी     थाली की रोटी, 

मुझे खिलाओ    तो जानूँ.


इस गरीब की   हालत पर, 

अश्क बहाओ     तो जानूँ.


शिव नारायण शिव

सांझ-सबेरे आया कर | गीतों में नहलाया कर ||

 ग़ज़ल

********

सांझ-सबेरे     आया कर. 

गीतों में   नहलाया    कर. 


तेरे पास          उजाले हैं, 

इस दर भी बिखराया कर. 


जो दुनिया    को छाया दे, 

वह ही पेड़    लगाया कर, 


जो उल्फत के    प्यासे हैं.

उनकी प्यास बुझाया कर. 


रोटी दे    भूखों   को फिर, 

अपना रुप    सजाया कर. 


एक एक  पल      सोना है,

यह खयाल भी लाया  कर. 


गैरों की         बाते सुनकर, 

अपनी कथा    सुनाया कर. 


शिव नारायण शिव

3-9-21

चरचा चारो ओर हुई है | दुनिया आदम खोर हुई है ||

 ग़ज़ल

*****†

चरचा     चारो    ओर हुई है.

दुनिया     आदम खोर हुई है.


गिर जायेगा      घर कैसा हो, 

नींव अगर     कमजोर हुई है.


सुनते हैं     कि टुकड़े- टुकड़े, 

सम्बन्धों    की     डोर हुई है.


धरती क्यूँ है फिर भी प्यासी

बर्षा    गर  घनघोर     हुई है.


घर       में मित्रों      बैठे बैठे, 

तबियत     अपनी बोर हुई है.


दो रोटी      के  लिए जिंदगी, 

अपनी भी      तो चोर हुई है.


देखो आगे       क्या है होता, 

उथल-पुथल  हर छोर हुई है.


शिव नारायण शिव

2-9-21

सत्ता के परवाने लोग | दीपक लगे बुझाने लोग ||

 ग़ज़ल

*****""

सत्ता के परवाने       लोग.

दीपक लगे    बुझाने लोग.


जब जब     कुर्सी दौड़ हुई, 

जीते     वही    पुराने लोग.


फूल उठाना       भूल गये, 

पत्थर लगे      उठाने लोग.


इतना      फैशनबाज हुए, 

सुरमा     लगे लगाने लोग.


सब आपस   में बांट लिए, 

लूटे   हुए      खजाने लोग.


नजर      बचाकर चलते हैं, 

उल्फत के       दीवाने लोग.


हंसना था      मुस्काना था, 

आंसू लगे        बहाने लोग.


शिव नारायण शिव

8-9-21

जितना परदादारी है | उतना कलह बिमारी है||

 ग़ज़ल

*******

जितना    परदादारी है.

उतना कलह बिमारी है.


धन बर्साया ज्यादा जो, 

उसने     बाजी मारी है, 


चाहे जो    आदेश करे, 

मन ऐसा  अधिकारी है.


खुद तो दुख में है डूबा, 

जिसने नजर उतारी है.


शीतलता   है  चेहरे पर, 

दिल में  क्यूँ चिन्गारी है.


बिकने पर   है आमादा, 

मेरी अब       खुद्दारी है.


कल थी बगिया आमों की, 

आज वहाँ      बंसवारी है.


शिव नारायण शिव

7-9-21

रूप बदलती है दुनिया | जहर उगलती है दुनिया ||

 ग़ज़ल

*******

रूप बदलती   है दुनिया.

जहर उगलती है दुनिया.


जब ठंडक है बढ़ जाती , 

पंखा झलती   है दुनिया.


छत जब मेरी टपकती है, 

खूब   उछलती है दुनिया.


सूरज कितना   गरमाये,

नहीं पिघलती है दुनिया.


मच जाती है उथल-पुथल, 

जिधर निकलती है दुनिया.


चांद   सितारे      पाने को, 

सदा   मचलती   है दुनिया.


संग फूल  हैं       बन जाते, 

जिधर भी चलती है दुनिया.


शिव नारायण शिव

६-9-21

मुट्ठी भर आहार न देगा | ये पत्थर है प्यार न देगा ||

 ग़ज़ल

*******

मुट्ठी भर     आहार न देगा.

ये पत्थर है     प्यार न देगा.


रोने पर  प्रतिबन्ध    करेगा, 

हंसने का  अधिकार न देगा.


इसकी भूख    नहीं  जायेगी, 

जब तक डंडा    मार न देगा.


सोच समझकर हाथ बढ़ाओ, 

कुछ भी   यह संसार न  देगा.


तू तो    मक्खनबाज नहीं है, 

जगह तुझे   अखबार न देगा.


यह  बाजार  लगा है नकदी, 

कोई    तुझे    उधार न देगा.


अस्पताल है    धनवानों का, 

यह सस्ता     उपचार न देगा.


शिव नारायण शिव

5-9-21

जब दिल में अन्तर बनता है | घर के भीतर घर बनता है ||

 ग़ज़ल

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जब दिल में अन्तर बनता है.

घर के भीतर    घर बनता है.


गाते -गाते          गाते -गाते, 

फिर गीतों का  स्वर बनता है.


जीवन देने       या कि  लेने, 

आखिर क्यूँ  खंजर बनता है.


पहरे हैं फिर   भी अपने को, 

लुट जाने का   डर बनता है.


देख लिया है तुझसे मिलकर, 

दिल कैसे पत्थर    बनता है.


जब तेरा है  हुआ    आगमन , 

ये हसीन       मंजर बनता है.


खुशियों की है   चाहत होती, 

पर जीवन दुखतर   बनता है.


शिव नारायण शिव

4-9-21

सांझ-सबेरे आया कर | गीतों में नहलाया कर ||

 ग़ज़ल

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सांझ-सबेरे     आया कर. 

गीतों में   नहलाया    कर. 


तेरे पास          उजाले हैं, 

इस दर भी बिखराया कर. 


जो दुनिया    को छाया दे, 

वह ही पेड़    लगाया कर, 


जो उल्फत के    प्यासे हैं.

उनकी प्यास बुझाया कर. 


रोटी दे    भूखों   को फिर, 

अपना रुप    सजाया कर. 


एक एक  पल      सोना है,

यह खयाल भी लाया  कर. 


गैरों की         बाते सुनकर, 

अपनी कथा    सुनाया कर. 


शिव नारायण शिव

3-9-21

चरचा चारो ओर हुई है | दुनिया आदम खोर हुई है ||

 ग़ज़ल

******

चरचा     चारो    ओर हुई है.

दुनिया     आदम खोर हुई है.


गिर जायेगा      घर कैसा हो, 

नींव अगर     कमजोर हुई है.


सुनते हैं     कि टुकड़े- टुकड़े, 

सम्बन्धों    की     डोर हुई है.


धरती क्यूँ है फिर भी प्यासी

बर्षा    गर  घनघोर     हुई है.


घर       में मित्रों      बैठे बैठे, 

तबियत     अपनी बोर हुई है.


दो रोटी      के  लिए जिंदगी, 

अपनी भी      तो चोर हुई है.


देखो आगे       क्या है होता, 

उथल-पुथल  हर छोर हुई है.


शिव नारायण शिव

2-9-21

हंसो हसाओ तो जानूँ | मन बहलाओ तो जानूँ ||

 ग़ज़ल

*******

हंसो  हसाओ    तो जानूँ.

मन    बहलाओ तो जानूँ.


गजलों की  पंखुड़ियों से, 

रस   बरसाओ   तो जानूँ.


इन पुरजोर     हवाओं में

दीप    जलाओ  तो जानूँ.


आंच न      आये रिश्ते में, 

झुको  झुकाओ   तो जानूँ.


सुख-दुख में   हर सूरत में, 

साथ निभाओ     तो जानूँ.


अपनी     थाली की रोटी, 

मुझे खिलाओ    तो जानूँ.


इस गरीब की   हालत पर, 

अश्क बहाओ     तो जानूँ.


शिव नारायण शिव

उल्फत तो ज्ञानी करते हैं |नफरत अभिमानी करते हैं ||

 ग़ज़ल

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उल्फत तो   ज्ञानी     करते हैं.

नफरत     अभिमानी करते हैं.


मुफलिस अपनी इच्छाओं का, 

हर पल         कुर्बानी करते हैं.


गलती तो     सबसे   है होती, 

हम भी      नादानी    करते हैं.


जग जाहिर      है कुर्सी वाले, 

गफलत      मनमानी करते हैं.


नाम बुजुर्गों      का है चलता, 

बच्चे       परधानी    करते हैं.


जब कुछ लाभ नजर है आता, 

लोग   मेहरबानी        करते हैं.


तुम भी कुछ  हरकत हो करते, 

हम भी        शैतानी   करते हैं.


शिव नारायण शिव

31-8-21

सहमी हुई गली मिलती है | हर इक खबर बुरी मिलती है ||

 ग़ज़ल

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सहमी हुई    गली मिलती है.

हर इक खबर बुरी मिलती है.


मुरझाये सब कमल ताल के, 

सूखी हुई नदी      मिलती है.


ऐसा तुझ पे     क्या है गुजरा, 

तेरी   नजर   झुकी मिलती है.


अफवाहें उठती     है कितनी, 

कुछ तो बात सही मिलती है.


झांक रहा हूँ जिसके दिल में, 

सब में आग  लगी मिलती है.


समझ न आये क्यूँ लोगों की, 

धड़कन रोज बढ़ी मिलती है.


भटका देती है    वह अक्सर, 

जो भी राह    नयी मिलती है.


शिव नारायण शिव

व्यर्थ सभी तदबीर हुई है | यूँ अपनी तकदीर हुई है ||

 ग़ज़ल

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व्यर्थ सभी तदबीर     हुई है.

यूँ अपनी    तकदीर   हुई है.


लूट     रहे सब   दोनों हाथों, 

खतरे     में     जागीर हुई है.


रोज हुई गर     साफ सफाई, 

क्यूँ  धूमिल      तस्वीर हुई है, 


पहले से   सच है कि   छोटी, 

उल्फत की      जंजीर  हुई है.


पड़ी बहुत है     गुड़ की भेली, 

फिर  भी  कड़वी   खीर हुई है.


है गजलों     का दौर चला यूँ, 

दुनिया      गालिब मीर हुई है.


आज मेरे दिल के शायर की, 

हर झूठी         तहरीर हुई है.


शिव नारायण शिव

27-8-21

फूल छुओ तो ख़ार लगे है | जहर सरीखा प्यार लगे है ||

 ग़ज़ल

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फूल छुओ तो ख़ार लगे है.

जहर सरीखा प्यार लगे है.


गली   गली  रस्ते रस्ते पर. 

खतरों का  अम्बार लगे है.


झूठ   बोलती    है सच्चाई, 

लफ्ज़ लफ्ज़ अंगार लगे है.


माननीय की   सभा हमारे, 

कौओं का   दरबार लगे है.


पूजा घर     का आजू-बाजू, 

मछली  का    बाजार लगे है.


कोई     है   आंसू     में डूबा, 

और कोई       बीमार लगे है.


जिश्म तेरा पंखुड़ी कमल की, 

रूप तेरा        कचनार लगे है.


शिव नारायण शिव

26-8-21

परिवर्तन की बात हुई है. कल बैठक आपात हुई है.

 ग़ज़ल

परिवर्तन   की   बात हुई है.

कल बैठक    आपात हुई है.


एक तरफ है तपिश धूप की, 

एक तरफ      बरसात हुई है.

 

शुक्ल पक्ष का है पखवारा,

अद्भुत काली     रात हुई है.


बेच बेच    कर सोना चांदी, 

महगाई        आयात हुई है.


राहजनी    है   कहीं हो रही , 

कहीं    पुलिस  तैनात हुई है.


बनी सड़क है जितनी अच्छी, 

घटना उस     अनुपात हुई है.


फूलों की      वर्षा  होनी थी, 

लेकिन  उल्कापात  हुई    है.


शिव नारायण शिव

9-9-21

चन्दन को चन्दन लिखता हूँ. करके निर्मल मन लिखता हूँ,

 ग़ज़ल

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चन्दन को  चन्दन लिखता हूँ.

करके निर्मल मन लिखता हूँ, 


भाग गुणा     करता हूँ पहले, 

तब युग का वर्णन लिखता हूँ . 


दुनिया को    क्यूँ दुख होता है, 

जब तुमको सावन लिखता हूँ.


जिस   आंगन    में सूनापन है,

उसके घर  बचपन लिखता हूँ.


जिसको  पढ़कर मिटे उदासी, 

वह जीवन  दर्शन   लिखता हूँ.


मैं अपनी   इस  धरती माँ की, 

मिट्टी को   कंचन   लिखता हूँ.


तेरी  यादें         आ   जाती हैं, 

कविताएँ जिस क्षण लिखता हूँ.


शिव नारायण शिव

11-9-21

कौशाम्बी, गाजियाबाद

कदम कदम खतरे मिलते हैं. दूर दूर पहरे मिलते हैं.

 ग़ज़ल
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कदम कदम   खतरे मिलते हैं.
दूर दूर         पहरे    मिलते हैं.


मुफलिस के तो अब भी आंसू, 
पलकों में       ठहरे   मिलते हैं.


सुख के शजर   सभी मुरझाये, 
दुख के        हरे-भरे मिलते हैं.


जीवन पथ पर दुख के  दरिया, 
आखिर क्यूँ     गहरे मिलते हैं.


किससे बात      करोगे जो भी, 
मिलते हैं          बहरे मिलते हैं.


अब फूलों         के बाजारों में, 
कागज के       गजरे मिलते हैं.


कल तक नाज रहा है जिनको,

वो चेहरे     उतरे       मिलते हैं, 

शिव नारायण शिव
10-9-21

ग़ज़ल लोग खुद से ही धोखा किये. आंधियों पर भरोसा किये.

 ग़ज़ल

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लोग खुद से ही धोखा किये.

आंधियों पर    भरोसा किये.


धूल खिड़की   से आती रही, 

घर में कितना ही परदा किये.


वो     बुरा ही    समझते रहे, 

हम तो अच्छे से अच्छा किये.


लफ्ज कड़वे ही निकले सदा, 

यूँ बहुत   मुंह को मीठा किये.


वह जहन       से उतरता रहा, 

हम जिसे रोज      देखा किये.


प्यार का   कोष    बढ़ता गया, 

जब कि दिल खोल खर्चा किये.


वो निगाहें        मिलाते   नहीं, 

जो थे उल्फत   का वादा किये.


शिव नारायण शिव

12-12-21

ग़ज़ल रफ्ता-रफ्ता गुजर सी गयी जिन्दगी

मुक्तक

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रफ्ता-रफ्ता  गुजर सी गयी जिन्दगी.

पर लगे अब   ठहर सी गयी जिन्दगी.

दिन ब दिन और सूरत बिगड़ती गयी, 

हम तो समझे संवर सी गयी जिन्दगी.


शिव नारायण शिव

ग़ज़ल दोस्तों से मुलाकात होती नहीं. चाह कर भी कोई बात होती नहीं

दोस्तों से मुलाकात होती नहीं.

चाह कर भी कोई बात होती नहीं.

सोचता हूँ ग़ज़ल गुनगुनाऊँ कोई,

 रात होती है वह रात होती नहीं.

गीत चिड़िया

 गीत चिड़िया

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चिड़िया आओ चिड़िया आओ
दाना खाकर     भूख मिटाओ.
मटके में      पानी     रक्खा है, 
पानी पीकर     प्यास बुझाओ.

दिलवरों की डगर ढूढ़ते रह गये. आज पूरा शहर ढूढ़ते रह गये.

 ग़ज़ल

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दिलवरों   की  डगर     ढूढ़ते रह गये.
आज पूरा        शहर    ढूढ़ते रह गये.
रोटियां तो मिली      पेट भर भी गया, 
मुख्तसर    एक    घर ढूढ़ते   रह गये.
लोग उल्फत   के    मेरी   दिवाने  हुए, 
आप की हम        नजर ढूढ़ते रह गये, 
सबको रस्ते मिले सबको मंजिल मिली, 
और हम      हमसफर    ढूढ़ते रह गये.
इस तरफ उस तरफ  सुब्ह से शाम तक, 
हम तेरी       रहगुज़र  ढूढ़ते     रह गये.
जख्मेदिल को    तसल्ली  सुकूँ दे सके, 
एक ऐसा बशर        ढूढ़ते       रह गये.
जो नदी प्यास  सबकी    बुझाती रही, 
आज उसकी लहर     ढूढ़ते    रह गये.
शिव नारायण शिव
12-10-21

जब से उनसे मुहब्बत हुई. | जिन्दगी खूबसूरत हुई ||

 ग़ज़ल
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जब से उनसे     मुहब्बत हुई.
जिन्दगी       खूबसूरत    हुई, 
मन दिया तन दिया धन दिया, 
जब उन्हें जो      जरूरत हुई.
दुख में सुख में हर इक हाल में, 
सिर्फ हंसने   की    आदत हुई.
एक पल     की  खुशी के लिए, 
पत्थरों         की    इबादत हुई.
बात   अपनी         सुनाऊँ उन्हें, 
पर न   इतनी   भी   हिम्मत हुई.
आप का    साथ जब मिल गया, 
फिर किसी    की   न चाहत हुई.
साथ पहले         भी धोखे हुए, 
आज भी        तो शरारत    हुई.
शिव नारायण शिव
16-9-21
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ग़ज़ल

 ग़ज़ल

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कोई बात ये    कहने वाला नहीं है.

गरीबों के घर में    निवाला नहीं है.


जुदा हो गयी  हैं भले  अपनी राहे.

तुझे अपने दिल से निकाला नहीं है.


भला ही किया है सदा जिन्दगी में, 

किसी पे बुरी नज्र    डाला नहीं है.


ये जाकर समाचार सूरज को दे दो

मेरी इस गली में     उजाला नहीं है, 


ये दावा है मेरा कि घर में भी अपने, 

किसी शख्स का हाथ काला नहीं है.


यहाँ नफरतों के     हैं कालेज सारे, 

कहीं प्यार की    पाठशाला नहीं है.


कोई खास अपना हो या अजनबी हो, 

किसे दुख में मैंने    संभाला नहीं है


शिव नारायण शिव

15-12-21


महके फूल हवायें झूमी

गीत-5 ******* महके फूल हवायें झूमीं फागुन आया क्या? क्या मुस्काई न ई कोपल़ें पुष्पित हुए पलाश. बगिया में मेहमानी करने फिर आया मधुम...